अपने बच्चों को बचायें सीसे के जहर से एक खोज के अनुसार बताया गया है कि तकरीबन ४० प्रतिशत शहरों में रहने वाले २२ साल से कम उम्र के बच्चों में सीसा अधिक मात्रा में पाया गया है। सीसे का खून में अधिक मात्रा में होना सेहत के लिए बहुत हानिकारक है। तकरीबन १७ प्रतिशत…
पाँच साल के बच्चे को आतंक की ट्रेनिंग आई.एस.की ट्रेनिंग ले रहे एक ५ साल के लड़के के विडियों ने दुनिया को हैरान कर दिया है। ट्रेनिंग के दौरान पोस्ट्स पर मोर्चा संभाल रहे इस बच्चे की फुर्ती देखकर कोई नहीं कह सकता कि यह महज ५ साल का है। डर से कंपकपा देने वाले…
एक मिनट का समय, निकालकर अवश्य पढ़ें….. एक आदमी जंगल से गुजर रहा था। उसे चार स्त्रियाँ मिलीं। उसने पहली से पूछा- बहन तुम्हारा नाम क्या है ? उसने कहा- ‘बुद्धि’ । तुम कहाँ रहती हो ? मनुष्य के दिमाग में। दूसरी स्त्री से पूछा- बहन तुम्हारा नाम क्या है ? ‘लज्जा’। तुम कहाँ…
पांडुकवन के जिनमन्दिर तव्वणमज्झे चूलियपुव्वदिसाए जिणिंदपासादो। उत्तरदक्खिणदीहो कोससयं पंचहत्तरी उदओ२।।१८५५।। कोस १०० । ७५ । पुव्वावरभाएसुं कोसा पण्णास तत्थ वित्थारो। कोसद्धं अवगाढो अकट्टिमणिहणपरिहीणो।।१८५६।। को ५० । गा १ । २। एसो पुव्वाहिमुहो चउजोयण जेट्ठदारउच्छेहो। दोजोयण तव्वासो वाससमाणो पवेसो य।।१८५७।। ४ । २ । २। उत्तरदक्खिणभाए खुल्लयदाराणि दोण्णि चेट्ठंति। तद्दलपरिमाणाणिं वरतोरणथंभजुत्ताणिं।।१८५८।। २ । १ । १…
केवली- जब [[भगवान महावीर]] स्वामी [[मोक्ष]] पधारे हैं, तब चतुर्थ काल ([[दुषमा-सुषमा]]) के अंत में तीन वर्ष आठ महीने और पंद्रह दिन बाकी थे। उसी दिन [[गौतम स्वामी]] को [[केवलज्ञान]] उत्पन्न हो गया, वे बारह वर्ष तक केवली रहे, मतलब आठ वर्ष और साढ़े तीन महीने तक वे पंचम काल में केवलीपद में विहार करते…
पर्यूषण पर्व और हमारा कर्तव्य परम पवित्र पर्यूषण पर्व के शुभावसर पर हमारे पाठकों का हम हार्दिक अभिनन्दन करते है। आत्म शुद्धि के इस पर्व पर हम श्रावकों का क्या कर्तव्य है— इस प्रश्न पर हम इस लेख में विचार करेंगे। आत्मशुद्धि जैन पर्वों की प्रमुख विशेषता है। इसके लिए क्रोध, मान, माया तथा…
नन्दीश्वर द्वीप के जिनमंदिर (त्रिलोकसार ग्रन्थ से) इदानीं त्रिलोकस्थिताकृत्रिमचैत्यालयानां सामान्येन व्यासादिकमाह— आयामदलं वासं उभयदलं जिणघराणमुच्चत्तं। दारुदयदलं वासं आणिद्दाराणि तस्सद्धं।।९७८।। आयामदलं व्यासं उभयदलं जिनगृहाणामुच्चत्वं। द्वारोदयदलं व्यास: अणुद्वाराणि तस्यार्धं।।९७८।। आवाम । उत्कृष्टादिचैत्यालयानामायामा १०० । ५०। २५ धैं तेषां व्यासः ५०। २५। २५/२ आयामव्यासयोरुभयो उ० १५० म० ७५ ज० ७५/२ दलं जिनगृहाणामुच्चत्वं ७५ । ७५/२ । ७५/४…