ब्रह्मचर्यरक्षावर्ती बारहवाँ अधिकार (१) जिन राजाओं की भौं टेढ़ी होने से शत्रू वश होते। उन राजाओं को कामदेव भी अपने वश में कर लेते।। उन कामदेव रूपी योद्धा को बिना शस्त्र के जो जीते। ऐसे शांतात्मा मुनियों को मेरा शत बार नमन होवे।। (२) जो निज शरीर से निरासक्त मुनि की जो…
दान का उपदेश ।।द्वितीय अधिकार।। (१) श्री नाभिराय के पुत्र ऋषभ जग में सदैव जयवंत रहें। कुरु गोत्र रूप गृह के प्रदीप श्रेयांस नृपति जयवंत रहें।। इन दोनों से व्रत दान तीर्थ उत्पन्न हुआ इस वसुधा पर। इसलिए इन्हें हम नमन करें ये धर्मतीर्थ के संचालक।। (२) जिनका यश शरद काल…
राम रावण युद्ध प्रारम्भ मगसिर वदी पंचमी के दिन सूर्योदय के समय अनेक विद्याधरों के साथ महाराजा पुरुषोत्तम श्री रामचन्द्र लक्ष्मण के साथ प्रयाणकालिक बाजे बजवाकर प्रस्थान कर देते हैं। उस काल में उत्तम-उत्तम शकुनों से उन सबका उत्साह द्विगुणित होता जा रहा है। निग्रंथ मुनिराज सामने आ रहे हैं, आकाश में छत्र फिर रहा…
क्या है अठारह ? १. अठारह दोष जो अरिहंत में नहीं होते— (१) क्षुधा, (२) तृषा, (३) बुढ़ापा, (४) रोग, (५) जन्म, (६) मरण (७) भय, (८) गर्व, (९) राग, (१०) द्वेष (११) मोह, (१२) चिंता, (१३) मद, (१४) अरति (१५) खेद, (१६) स्वेद (१७) निद्रा, (१८) आश्चर्य २. पाप कर्म के अठारह प्रकार— (१)…
अग्नि परीक्षा श्री रामचन्द्र अपने सिंहासन पर आरूढ़ हैं। सुग्रीव, हनुमान, विभीषण आदि आकर नमस्कार कर निवेदन करते हैं- ‘‘प्रभो! सीता अन्य देश में स्थित है उसे यहाँ लाने की आज्ञा दीजिए।’’ रामचन्द्र गर्म निःश्वास लेकर कहते हैं- ‘‘बंधुओं! यद्यपि मैं उसके विशुद्ध शील को जानता हूँ फिर भी लोकापवाद से त्यक्त हुई सीता का…