सन्डे हो या मन्डे, कोई कभी न खाये अंडे
सन्डे हो या मन्डे, कोई कभी न खाये अंडे संजय जैन क्या तुमने कभी सोचा है की – अंग लाश के खा जाए क्या फ़िर भी वो इंसान है ? पेट तुम्हारा मुर्दाघर है या कोई कब्रिस्तान ? आँखे कितना रोती हैं जब उंगली अपनी जलती है।। सोचो उस तड़पन की हद जब जिस्म पे…