25. कुशील
पुरुषार्थ साधना की सिद्धि-पंचकल्याणक परम पूज्य आचार्य 1०5 श्री वरदत्तसागर हित, उत्थान, पवित्र आदि का नाम कल्याण है । संसार का प्रत्येक प्राणी अपना कल्याण चाहता है क्योंकि सभी के लिए प्रिय है । जो जीव अच्छे कार्य करेगा, पुण्य कार्य करेगा उसी का कल्याण होगा । कल्याण और कल्याण करने वाला कोई नहीं है,…
रक्षा बंधन पर्व कथा प्रस्तुति—श्रीमती त्रिशला जैन, लखनऊ शम्भु छंद रक्षाबंधन पर्वराज की सुनो कथा है मनोहारी। विष्णु मुनि वामन बन करके हुए उपद्रव परिहारी।। एक शिखर पर ध्यान रुढ़ थे महामुनि अवधिज्ञानी। इस नक्षत्र कांपता देखा मुख से आह ध्वनि निकली।।१।। पास में एक क्षुल्लक बैठे थे उनके यह ध्वनि कान पड़ी। सविनय नमस्कार…
नेमि—राजुल का वैराग्य तर्ज—एक था गुल और एक थी बुलबुल ………….. सूत्रधार— सुनो बन्धुओं ! आज तुम्हें रोमांचक कथा सुनाते हैं। नेमिप्रभू और राजुल के वैराग्य का दृश्य दिखाते हैं।। शौरीपुर के राजा जिनका, नाम समुद्रविजय जी था। मात शिवादेवी का अतिशय पुण्य जिन्हें सौभाग्य मिला।। तीर्थंकर के मात—पिता की गौरव गाथा गाते हैं।…
ज्ञान का सूर्य (श्रुत्रपञ्चमी पर्व-रूपक) प्रथम दृश्य सामूहिक प्रार्थना—एक गांव का दृश्य है, अनेक स्त्री पुरुष हाथों में सामान लिए,सिर पर गठरी रखे हुए गाना गुनगुनाते हुए कहीं चले जा रहे हैं, तभी पनघट से पानी भरकर घर की ओर जाती हुई महिलाओं की पूछताछ शुरू होती है— एक महिला — देखो अम्मा! ये…
विष निवारक विषापहार स्तोत्र की महिमा (कवि धनञ्जय के गृहनिवास का दृश्य है। प्रात:काल का समय है। वे तैयार होकर जिनमंदिर जाने के लिए उद्यत हैं)— धनञ्जय कवि—अरी ! सुनती हो ! पत्नी—जी, अभी आयी। (कमरे में आकर) कहिए ! क्या कार्य है ? धनञ्जय—कार्य कुछ नहीं, बस इतना बताने के लिए बुलाया कि…
उचित व्यवसाय का महत्व मनुष्य का भोजन कैसा व क्या हो इसके साथ ही यह भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं कि जिस धन से भोजन प्राप्त किया गया है वह धन कैसा है । महापुरुषों का कथन हैं कि उद्देश्य के साथ-साथ उसकी प्राप्ति के साधन भी उत्तम होने चाहिए । उत्तम साधन से कमाए हुए…
जैनेतर संस्कृत साहित्य मेंभगवान् वृषभदेव डा. जयकुमार जैन वर्तमान अवसर्पिणी कालचक्र के तृतीय अर में चौदह कुलकर हुए, जिनमें चौदहवें कुलकर नाभिराय एवं उनकी अर्धागिनी मरुदेवी से मति, भुत, अवधिज्ञान के धारक पुत्र का जन्म हुआ । इन्द्रों ने बालक का सुमेरु पर्वत पर अभिषेक किया और उनका नाम वृषभ रखा । वृषभदेव के…
( Karmvaad from scientific point of view ) नंदलाल जैन विश्वीय घटनाओं और लौकिक जीवन के स्वरूप के निर्णय में कर्मवाद का महत्वपूर्ण स्थान है । प्रारंभ में यह व्यक्ति-कर्मता, व्यस्लतर कर्मता, कर्म-स्थानांतर एवं समूह-कर्मता के रूप में माना गया था, पर उत्तरवर्ती काल में यह व्यक्ति-विशेषित अधिक हो गया । जैन व्यक्ति-प्रधान कर्मवाद…