अभयंकर!
अभयंकर Name of a planet. ८८ ग्रहों में से एक ग्रह । [[श्रेणी:शब्दकोष]]
अबंध Not subject to bondage of Karmas. कर्मों के बंध न होने की स्थति । [[श्रेणी:शब्दकोष]]
अन्वय दृष्टान्ताभास Illustrative apprehension of goal. अन्वय दृष्टान्त का आभास होना;जहन साधन की मौजूद्गी में साध्य की मौजूदगी न दिखाईई जाती हो ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म (गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी के प्रवचनांश……..) यह ब्रह्मस्वरूप कही आत्मा, इसमें चर्या ब्रह्मचर्य कहा। गुरुकुल में वास रहे नित ही, वह भी है ब्रह्मचर्य सुखदा।। सब नारी को माता भगिनी, पुत्रीवत् समझें पुरुष सही। महिलाएँ पुरुषों को भाई, पितु पुत्र सदृश समझें नित ही।। दुर्धर और उत्कृष्ट ब्रह्मचर्य व्रत को धारण…
उत्तम आर्जव धर्म (गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी के प्रवचनांश……..) ऋजु भाव कहा आर्जव उत्तम, मन वच औ काय सरल रखना। इन कुटिल किए माया होती, तिर्यंचगती के दुख भरना।। मन में जो बात होवे उस ही को वचन से प्रगट करना (न कि मन में कुछ दूसरा होवे तथा वचन से कुछ दूसरा ही बोले)…
उत्तम आकिंचन धर्म (गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी के प्रवचनांश……..) नहिं किंचित मेरा जग में, यह ही आकिंचन्य भाव कहा। बस एक अकेला आत्मा ही, यह गुण अनन्त का पुंज अहा।। अणुमात्र वस्तु को निज समझें, वे नरक निगोद निवास करें। जो तन से भी ममता टारें, वे लोक शिखर पर वास करें।। ‘न में किञ्चन…
क्षमावणी पर्व (गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी के प्रवचनांश……..) पर्यूषण पर्व का प्रारम्भ भी क्षमाधर्म से होता है और समापन भी क्षमावणी पर्व से किया जाता है। दश दिन धर्मोें की पूजा करके, जाप्य करके जो परिणाम निर्मल किये जाते हैं और दश धर्मों का उपदेश श्रवण कर जो आत्म शोधन होता है, उसी के फलस्वरूप…
उत्तम शौच धर्म (गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी के प्रवचनांश……..) शुचि का जो भाव शौच वो ही, मन से सब लोभ दूर करना। निर्लोभ भावना से नित ही, सब जग को स्वप्न सदृश गिनना।। जिस प्रकार अत्यन्त घृणित मद्य से भरा हुआ घड़ा यदि बहुत बार शुद्ध जल से धोया भी जावे तो वह शुद्ध नहीं…
उत्तम मार्दव धर्म (गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी के प्रवचनांश……..) मृदुता का भाव कहा मार्दव, यह मानशत्रु मर्दनकारी। यह दर्शन ज्ञान चरित्र तथा, उपचार विनय से सुखकारी।। मद आठ जाति कुल आदि हैं, क्या उनसे सुखी हुआ कोई। रावण का मान मिला रज में, यमनृप ने सब विद्या खोई।। संसार में जाति, कुल, बल, ऐश्वर्य, रूप,…