प्रथमाचार्य शान्तिसागर काव्यकथानक
प्रथमाचार्य श्री शांतिसागर काव्य कथानक (१) (अष्टान्हिका, गुरुपूर्णिमा या दशलक्षण आदि पर्व के अवसर पर इन काव्यों के माध्यम से आचार्यश्री के जीवन का मंचन भी कर सकते हैं) (१) जन्म, बाल विवाह एवं ब्रह्मचारी जीवन भव्यात्माओं! संसार के रंगमंच पर अनन्त प्राणी अपना-अपना जीवन व्यतीत करके चले जाते हैं और पुन:-पुन: चारों गति में...