अवर्णवाद!
अवर्णवाद- झूठी निंदा करना अवर्णवाद कहलाता है “
स्तुति को पढ़ने की परंपरा पुरानी है इसी क्रम में पूज्य गणिनी प्रमुख श्री ज्ञानमति माताजी ने अपनी लेखनी से संस्कृत में सातों विभक्ति से संबंधित 24 तीर्थंकर भगवन्तों की एवं गौतम स्वामी, सरस्वती माता, ग्रंथराज षट्खंडागम एवं गुरुणाम गुरु आचार्य श्री शांतिसागर महाराज एवं दीक्षा गुरु वीरसागर जी महाराज आदि अनेकानेक स्तुतियों को बहुत ही सुंदर लिखकर एक छोटी सी पुस्तक मृत्युंजयितीर्थंकर स्तुति के नाम से हमें प्रदान किया है।
अक्षय तृतीया पर्व भगवान ऋषभदेव के आहार से पवित्र तिथि है|इसदिन भगवान ऋषभदेव ने एक वर्ष उनतालीस दिन पश्चात राजकुमार श्रेयांस द्वारा इक्षुरस का आहार करपात्र मे ग्रहण किया था ,तभी से अक्षय तृतीया पर्व चला है
आर्यिका १०५ श्री देवर्षिमति माताजी का संक्षिप्त-परिचय समाधि – 1 मार्च 2020,भींडर फाल्गुन शुक्ल 6
जीव दया की कहानी लेखिका-प्रज्ञाश्रमणी चंदनामती माताजी तर्ज -ये परदा हटा दो ……………….. सुनो जीवदया की कहानी , इक मछुवारे की जुबानी , इक मछली को दे जीवन इसने जीवन पाया था । the story of compossion , is called indian tradition one fisherman had given once the life to the fish . इक मुनि…
The True Stories of Jainism-2 by Jambudweep Jain