हिंसा के बर्बर अड्डे तीर्थंकर जुलाई २०१४ हिंसा में जो कत्लखाने/बूचड़खाने, पौल्ट्रियाँ, मत्स्यालय आदि हैं, वे अन्तत: है क्या ? क्या ये हिंसा के बर्बर अड्डे नहीं है ? ये सब सारे तो हमारे देश में हैं ही, अब यहाँ कीड़े-मकोड़ों को मारने-खाने के लिए आधुनिक संयन्त्र और रोप दिये जाएँगे ताकि यहाँ जैव मण्डियाँ…
मनुष्य का भोजन कैसा हो मनुष्य के जीवित रहने के लिए वायु व जल के बाद सर्वाधिक आवश्यक वस्तु भोजन ही है । मनुष्य का भोजन कैसा हो उसका क्या उद्देश्य है, वह क्या हो, कितना हो इस पर ध्यान देना आवश्यक है । मनुष्य के भोजन का उद्देश्य भोजन से मनुष्य का उद्देश्य मात्र…
हिंसा बनाम अहिंसा : एक संक्षिप्त विवेचन कपूरचन्द जैन पाटनी जैन गजट १० नवम्बर २०१४ हिंसा और अहिंसा की वर्तनी को कोई समझे या नहीं जीवन में दोनों का अस्तित्व है। जब तक जीवन तब तक हिंसा, यह एक अभिमत है। इसमें आस्था का अर्थ है हिंसा की अपरिहार्य था। हिंसा के बिना जीवन नहीं…
क्षेत्रपाल पूजा क्षेत्रपालाय यज्ञेऽस्मिन्नेतत्क्षेत्राधिरक्षणे। बलिं दिशामि दिग्यम्नेर्वेद्यां विघ्नविघातिने।।१।। ॐ आं क्रों ह्रीं अत्रस्थ क्षेत्रपाल! आगच्छ आगच्छ संवौषट्! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः । अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् इति पुष्पाञ्जलिः। क्षेत्रपाल का तेल से अभिषेकः- सद्यस्केन सुगंधेन स्वच्छेन बलहेन च। स्न पनं क्षेत्रपालस्य तैलेन प्रकरोम्यहं।।२।। ॐ ह्रीं तैलेन…