भगवान वासुपूज्य पंचकल्याणक भूमि चम्पापुर तीर्थक्षेत्र चालीसा दोहा जिनशासन के बारवें ,तीर्थंकर भगवान उनके पद में नित नमूँ ,करें सर्व कल्याण ||१|| जन्मभूमि भगवान की, होवे मंगलकार चालीसा उनका कहूँ , मन मंदिर में धार ||२|| चौपाई जय-जय वासुपूज्य जिन स्वामी, हो स्वामी तुम अंतर्यामी ||१|| सुर,नर,असुर करें तुम…
भगवान संभवनाथ जन्मभूमि श्रावस्ती तीर्थक्षेत्र चालीसा दोहा संभव जिन के जन्म से,पूज्य सुपावन धाम उस श्रावस्ती तीर्थ को,शत-शत करूं प्रणाम ||१|| चालीसा जिनराज का,पढ़ो सुनो मन लाय लौकिक सुख के संग में,मुक्ति सहज मिल जाय ||२|| चौपाई भारतभूमी के अंचल में, यू.पी.है स्टेट धर्ममय ||१|| बहराइच के निकट तीर्थ…
भगवान धर्मनाथ जन्मभूमि रत्नपुरी तीर्थक्षेत्र चालीसा दोहा धर्मतीर्थ वर्तन किया, धर्मनाथ भगवान उनकी पावन जन्मभू ,को शत करूं प्रणाम ||१|| रत्नपुरी उस तीर्थ का, मनभावन है धाम चालीसा के पाठ से, पूरण हों सब काम ||२|| चौपाई तीर्थ अयोध्या निकट में जानो, रत्नपुरी शुभ तीरथ मानो ||१|| पन्द्रहवें…
भगवान पुष्पदंतनाथ जन्मभूमि काकंदी तीर्थक्षेत्र चालीसा दोहा आत्मशक्ति विकसित करे,जन्मभूमि का ध्यान, पुष्पदंत तीर्थेश को, मेरा नम्र प्रणाम ||१|| पुण्यमयी उस धाम का,चालीसा सुखकार , जो पढ़ते श्रद्धा सहित,होते भव से पार ||२|| चौपाई जय-जय पुष्पदंत जिन स्वामी ,हो प्रभुवर तुम जग में नामी ||१|| इन्द्र मनुज सब तुमको ध्याते,…
णमोकार मंत्र का अर्थ एवं महिमा णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आइरियाणं। णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्वसाहूणं।।१।। अर्थ- अर्हंतों को नमस्कार हो, सिद्धों को नमस्कार हो, आचार्यों को नमस्कार हो, उपाध्यायों को नमस्कार हो और लोक में सर्व साधुओं को नमस्कार हो। (१) ‘णमो अरिहंताणं’ ‘अरिहननादरिहंता!’ ‘अरि’ अर्थात् शत्रुओं के ‘हननात्’ अर्थात् नाश करने वाले…
दिगम्बर जैन मतानुसार शासन देव- देवी (१) भगवान आदिनाथ के शासन देव-गोमुख यक्ष एवं चक्रेश्वरी देवी १. गौमुख यक्ष का स्वरूप – सव्वेतरोध्र्वकरदीप्रपरश्वधाक्ष- सूत्रं तथाऽधरकराज्र्फलेहष्टदानम्। प्राग्गोमुखं वृषमुखं वृषगं बृषाड्क-भत्तंकं यजे कनकभं वृषचक्शीर्षम् ।।१।। वृषभ के चिन्हवाले श्री आदिनाथ जिन के अधिष्ठायिक देव ‘गोमुख’ नामका यक्ष है वह सुवर्ण के जैसी कांतिवाला,…