108 फिट ऊँची भगवान ऋषभदेव की प्रतिमा का प्रतिष्ठापना दिवस
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द्रव्य संग्रह पुस्तक में 6 द्रव्यों का सुंदर एवं विस्तृत विवेचन किया है, आचार्य श्री नेमचंद द्वारा रचित मूल गाथाएं प्राकृत भाषा में है ,इसने प्राण समुघात,मार्गणा आदि का विशेष रूप से वर्णन 58 गांथाओं में किया है। इसका पद्यानुवाद पूज्य गणिनी प्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी ने बहुत ही सरल एवं सरस शब्दों में किया है।
यह ग्रंथ सबके लिए मंगलमय हो
समवसरण विंशतिका प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी दोहा सरस्वती लक्ष्मी जहाँ, नितप्रति करें प्रणाम। पुण्यमयी उस धाम का, समवसरण है नाम।। समवसरण का स्वरूप छंद-विष्णुपद (कहाँ गये चक्री-बारहभावना) जहाँ पहुँचते ही दर्शक का पाप शमन होता। जहाँ पहुँचते ही मानी का मान गलन होता।। सबको शरण प्रदाता वह ही समवसरण…
शनिग्रहारिष्टनिवारक श्री मुनिसुव्रतनाथ चालीसा दोहा श्री मुनिसुव्रत पद कमल,शत शत करूं प्रणाम | जिनशासन के सूर्य वे,करें स्व पर कल्याण ||१|| त्रैलोक्याधिपती बने, कर्मशत्रु को जीत | चालीसा उनका कहूँ , पाऊं आत्मनवनीत ||२|| चौपाई जय जय श्री मुनिसुव्रत स्वामी, तीन लोक में हो तुम नामी ||१|| नृप सुमित्र के गृह तुम…
शुक्रग्रहारिष्टनिवारक श्री पुष्पदंतनाथ चालीसा दोहा पुष्पदंत भगवान हैं , नवमें श्री जिनराज | भक्तिभाव से में नमूँ, आत्मिक सम्पति काज ||१|| चालीसा उनका कहूँ , मेटें सर्व अरिष्ट | रोग,शोक,सब दूर हों ,तुम ही प्रभु मम इष्ट ||२|| चौपाई जय जय पुष्पदंत सुखदाता ,भविजन को सदबुद्धि प्रदाता ||१|| त्रैलोक्याधिपती कहलाए , सुर नर…