षट्खण्डागम पूजा
षट्खण्डागम पूजा स्थापना …
शौरीपुर तीर्थ पूजा स्थापना (शंभु छंद) तीर्थंकर प्रभु श्री नेमिनाथ का, शौरीपुर में जन्म हुआ। माँ शिवादेवि अरु पिता समुद्रविजय का शासन धन्य हुआ।। उस जन्मभूमि शौरीपुर की, पूजन हेतू आह्वानन है। सन्निधीकरण विधि के द्वारा, मैं करूँ तीर्थ स्थापन है।।१।। ॐ ह्रीं तीर्थंकरश्रीनेमिनाथजन्मभूमिशौरीपुरतीर्थक्षेत्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। …
अयोध्या तीर्थ पूजा अथ स्थापना तर्ज-गोमटेश, जय गोमटेश…… आदिनाथ, जय आदिनाथ, मम हृदय विराजो-२ हम यही भावना करते हैं। भावना करते हैं, ऐसा आने वाला कल हो। हो नगर नगर में प्रभु पूजा, सारी धरती भक्ति स्थल हो।।हम०।।१।। युग की आदि में इन्द्रराज ने, नगरि अयोध्या रचवाई। श्री नाभिराय मरुदेवि को पाकर, सारी जनता…
काकन्दी तीर्थ पूजा (स्थापना) तर्ज-आओ बच्चों…….. चलो चलें काकन्दी नगरी, पुष्पदन्त को नमन करें। जन्मभूमि की पूजन करके, अपना पावन जनम करें।। तीरथ को नमन, तीरथ को नमन-२।।टेक.।। चौबिस तीर्थंकर में से, श्रीपुष्पदन्त नवमें प्रभु हैं। उनसे काकन्दी नगरी ने, प्राप्त किया वैभव सब है।। इन्द्र मनुज भी आकर जिस, तीरथ को…
श्री चन्द्रपुरी तीर्थ पूजा (स्थापना) शंभु छन्द अष्टम तीर्थंकर चन्द्रप्रभू की, जन्मभूमि है चन्द्रपुरी। गर्भागम से केवलज्ञानी, बनने तक पावन हुई मही।। उस चन्द्रपुरी तीरथ की पूजन, से पहले आह्वानन है। स्थापन सन्निधिकरण सहित, जन्मस्थल का आराधन है। ॐ ह्रीं तीर्थंकरश्रीचन्द्रप्रभजन्मभूमिचन्द्रपुरीतीर्थक्षेत्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं…
भद्रिकापुरी तीर्थ पूजा स्थापना (बसन्ततिलका छन्द) शीतल जिनेन्द्र जन्मस्थल को जजूँ मैं। श्री भद्रिकापुरी पुण्यस्थल भजूं मैं।। आह्वाननं कर यहाँ प्रभु को बुलाऊँ। उन जन्मभूमि की पूजा भी रचाऊँ।। ॐ ह्रीं तीर्थंकरश्रीशीतलनाथजन्मभूमिभद्रिकापुरीतीर्थक्षेत्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं तीर्थंकरश्रीशीतलनाथजन्मभूमिभद्रिकापुरीतीर्थक्षेत्र! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनं। ॐ ह्रीं…
रत्नपुरी तीर्थ पूजा स्थापना (कुसुमलता छन्द)श्री तीर्थंकर धर्मनाथ ने, रत्नपुरी में जन्म लिया। धर्मतीर्थ का वर्तन करके, जन्मभूमि को धन्य किया।। पन्द्रहवें तीर्थंकर की, उस जन्मभूमि को वन्दन है। आह्वानन स्थापन सन्निधिकरण विधी से अर्चन है।। ॐ ह्रीं तीर्थंकरश्रीधर्मनाथजन्मभूमिरत्नपुरीतीर्थक्षेत्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं तीर्थंकरश्रीधर्मनाथजन्मभूमिरत्नपुरीतीर्थक्षेत्र! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः…
वाराणसी तीर्थ स्थापना (शंभु छंद) जिस वाराणसि नगरी का हमने, नाम सुना है ग्रंथों में। जो पावन और पवित्र सुपारस, पार्श्वनाथ के चरणों से।। उस जन्मभूमि तीरथ की पूजन, हेतु करूँ आह्वानन मैं। स्थापन सन्निधिकरण करूँ, वाराणसि तीर्थ का अर्चन मैं।।१।। ॐ ह्रीं तीर्थंकर श्रीसुपार्श्वनाथ पार्श्वनाथ जन्मभूमि वाराणसी तीर्थक्षेत्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट्…
कुण्डलपुर तीर्थ पूजा स्थापना (चौबोल छन्द) महावीर प्रभु जहां जन्म ले, सचमुच बने अजन्मा हैं। जिस धरती पर त्रिशला मां ने, एक मात्र सुत जनमा है।। उस बिहार की कुण्डलपुर, नगरी को वन्दन करना है। वन्दन कर उस तीरथ का, हर कण चन्दन ही समझना है।। दोहा आह्वानन स्थापना, सन्निधिकरण…
चम्पापुरी तीर्थपूजा तर्ज-मेरे देश की धरती……… चम्पापुर नगरी वासुपूज्य के जन्म से धन्य हुई है, चम्पापुर नगरी……..।।टेक.।। जिनशासन के बारहवें तीर्थंकर श्री वासुपूज्य स्वामी। उनके पाँचों कल्याणक से, चम्पापुर की धरती नामी।। वसुपूज्य पिता के साथ जयावति माता धन्य हुई है।। चम्पापुर.।।१।। उस चम्पापुर तीरथ का मैं, आह्वानन स्थापन कर लूँ। सन्निधीकरण…