रक्षाबंधन-पर्व पूजन
हस्तिनापुर उत्तर प्रदेश के मेरठ ज़िले में स्थित एक ऐतिहासिक क्षेत्र है। हस्तिनापुर प्राचीन समय से ही अपने अन्दर विभिन्न इतिहास समेटे हुए है ” कहते हैं कि सन् १९४८ में भारत के प्रधानमंत्री स्व. पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उजड़े हुए हस्तिनापुर को पुनः बसाया था जो कि ‘‘हस्तिनापुर सेन्ट्रल टाउन’’ के नाम से जाना…
जम्बूद्वीप तीर्थ के इतिहास का एक स्वर्ण अवसर तीर्थंकर जन्मभूमियों के इतिहास में यह प्रथम अवसर था, जब भगवान शांतिनाथ-कुंथुनाथ-अरहनाथ जैसे तीन-तीन पद के धारी महान तीर्थंकरों की साक्षात् जन्मभूमि हस्तिनापुर में जम्बूद्वीप स्थल पर ग्रेनाइट पाषाण की 31-31 फुट उत्तुंग तीन विशाल प्रतिमाएं अत्यन्त मनोरम मुद्राकृति में निर्मित करके राष्ट्रीय स्तर के पंचकल्याणक प्रतिष्ठा…
वंदे सुरतिरीटाग्रमणिच्छाया….! ‘वन्दे सुरतिरीटाग्रमणिच्छायाभिषेचनम्। या: क्रमेणैव सेवन्ते तदर्चा: सिद्धिलब्धये।।२१।। अमृतर्विषणी टीका— अर्थ- जो देवों के मुकुट के अग्र भाग में लगी हुई मणियों की कान्ति से अभिषेक को चरणों द्वारा सेवन करती हैं अर्थात् जिनके चरणों में वैमानिक देव सिर झुकाते हैं उन वैमानिक देवों के विमान संबंधी प्रतिमाओं को मुक्ति की प्राप्ति के लिये…
सामायिक का स्वरूप सामायिक : समभाव की साधना समभाव की साधना को सामायिक कहते हैँ । समभाव क्या ? अनुकूल और प्रतिकूल दोनों परिस्थितियों में समान रहना, शान्त रहना, प्रभावित नहीं होना, उद्वेलित नहीं होना, अच्छा -बुरा नहीं मानना, सम रहना। आज चारों ओर विषमता का वातावरण है, जिसके कारण सभी व्यक्ति दुखी हैँ ।…
‘‘ज्योतिषामथ लोकस्य भूतयेऽद्भुतसम्पद:। गृहा: स्वयंभुव: सन्ति विमानेषु नमामि तान्।।२०।।’’ अमृतर्विषणी टीका— अर्थ- अनन्तर ज्योतिषी देवों के विमानों में अद्भुत सम्पत्तिधारी अर्हंतों के जो शाश्वत गृह हैं उनको मैं विभूति के निमित्त नमस्कार करता हूँ ।।२०।। ज्योतिर्वासी देव ज्योतिष्क देवों के पाँच भेद हैं-सूर्य, चन्द्र, ग्रह, नक्षत्र और तारे। इनके विमान चमकीले होने से इन्हें ज्योतिष्क…