अतिशय क्षेत्र त्रिलोकपुर-भगवान नेमिनाथ पूजन रचयित्री-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी भगवान नेमिनाथ पूजन-विधान श्री नेमिनाथ जिनराज! नमोऽस्तु तुभ्यं। श्री नेमिनाथ मुनिनाथ! नमोऽस्तु तुभ्यं।। अतिशायिक्षेत्रसुत्रिलोकपुरस्य नाथ:। श्री नेमिनाथ जिनसूर्य! नमोऽस्तु तुभ्यं।।१।। मंगलं भगवान् वीरो, मंगलं गौतमो गणी। मंगलं कुंदकुंदाद्यो, जैनधर्मोऽस्तु मंगलं।।२।। ।।अथ जिनपूजा प्रतिज्ञापनाय पुष्पांजलिं क्षिपेत्।। श्री नेमिनाथ जिनराज! नमोऽस्तु तुभ्यं। श्री नेमिनाथ मुनिनाथ! नमोऽस्तु तुभ्यं।।…
न्यायालयों के निर्णय जैनधर्म बहुत प्राचीन धर्म हैं, इसके कुछ प्रमाण सन् १९२७- मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा एयर १९२७ मद्रास २२८ मुकदमे के निर्णय में जैनधर्म को स्वतंत्र, प्राचीन व ईसा से हजारों वर्ष पूर्व का माना। सन् १९३९- मुम्बई उच्च न्यायालय में एयर १९३९ मुम्बई ३७७ मुकदमे के निर्णय में कहा कि जैनधर्म वेदों…