38. स्वरूपाचरण चारित्र
				स्वरूपाचरण चारित्र अर्हन्तो मंगलं कुर्यु:, सिद्धा: कुर्युश्च मंगलम्।आचार्या: पाठकाश्चापि, साधवो मम मंगलम्।। आज मैं स्वरूपाचरण चारित्र के बारे में कुछ प्रकाश डालूँगी। मैंने अनेक ग्रंथों का स्वाध्याय किया है, अपने दीक्षा गुरु आचार्यश्री वीरसागर महाराज के मुख से बहुत कुछ सुना है लेकिन स्वरूपाचरण चारित्र का नाम नहीं सुना। अनगार धर्मामृत, समयसार, प्रवचनसार आदि ग्रंथों...			
		 
				
			 
				
			 
				
			 
				
			 
				
			 
				
			 
				
			 
				
			