02.1 अनेकांत और स्याद्वाद जैनधर्म के मूल आधार हैं
अनेकांत और स्याद्वाद जैनधर्म के मूल आधार हैं अनेकान्तवाद जैन दर्शन में अनेकान्त पद्धति को बहुत ऊँचा स्थान दिया गया है। आचार्य अमृतचन्द्र ने उसे ‘परमागमस्य जीवम्’ परमागम का प्राण प्रतिपादन करके उसके महत्त्व को चरम सीमा तक पहुँचा दिया है। इस सिद्धान्त की ओर यद्यपि प्राचीन जैनेतर भारतीय विद्वानों का ध्यान जैसा चाहिए वैसा…