04.4 सम्यक्त्वचरण एवं संयमचरण चारित्र
सम्यक्त्वचरण एवं संयमचरण चारित्र सम्यक्त्वचरण चारित्र वीतराग सर्वज्ञदेव ने चारित्र के दो भेद किये हैं—सम्यक्त्वचरण चारित्र और संयमचरण चारित्र। इन्हें दर्शनाचार चारित्र और चारित्राचार लक्षण चारित्र भी कहते हैं। आचार्य कहते हैं कि—हे भव्यजीवों! इन दोनों में पहले सम्यक्त्व को विशुद्ध बनाने के लिये उसमें मल को उत्पन्न करने वाले ऐसे शंका आदि दोषों का…