04.2 न्याय शास्त्र के अध्ययन की आवश्यकता
न्याय शास्त्र के अध्ययन की आवश्यकता जीव के दु:खों का मूल कारण एक ही है—अज्ञान, मिथ्याज्ञान, अत: दु:खनिवृत्ति का भी मूल कारण एक ही है—ज्ञान, सम्यग्ज्ञान। तथा यह सम्यग्ज्ञान न्याय के द्वारा ही सम्भव है, अन्यथा नहीं। अत: न्याय का ज्ञान होना अत्यन्त आवश्यक है। आवश्यक ही नहीं, अनिवार्य है। वैसे तो हमारे देश में…