04. भगवान महावीर की अहिंसा
भगवान महावीर की अहिंसा यत्खुलु कषाय योगा आणानां-द्रव्यभावरूपाणाम्। व्यपरोपणस्य करणं सुनिश्चिता भवति सा हिंसा।। (श्री अमृतचन्द्र सूरि) कषाय के योग से जो द्रव्य और भाव रूप दो प्रकार के प्राणों का घात करना है वह सुनिश्चित ही हिंसा कहलाती है अर्थात् अपने और पर के भावप्राण और द्रव्य प्राण के घात की अपेक्षा हिंसा के…