03.3 श्रावक की त्रेपन क्रियाएँ
श्रावक की त्रेपन क्रियाएँ संसार के सभी प्राणी सुख की कामना करते हैं और यत्किंचित् भी दुख नहीं चाहते हैं। पंडितप्रवर श्री दौलतरामजी ने ‘छहढाला’ नामक अनुपम आध्यात्मिक कृति में प्राणी की इस दशा का बहुत ही सुन्दर रेखांकन किया है- ‘जे त्रिभुवन में जीव अनंत, सुख चाहें दु:खतें भयवंत। तातें दु:खहारि सुखकार, कहें सीख…