03.1 विद्यार्थियों की आदर्श जीवनचर्या
विद्यार्थियों की आदर्श जीवनचर्या संसार में विद्याएँ दो प्रकार की मानी गई हैं, एक ‘अपरा’ विद्या अर्थात् संसारी विद्या है और दूसरी ‘परा’ विद्या अर्थात् आध्यात्मिक ज्ञान है। पहली व्यक्ति की पेट-पूजा के लिये आवश्यक है और दूसरी आत्मकल्याण के लिये अनिवार्य है। सफल जीवन के लिये इन दोनों विद्याओं का समन्वय आवश्यक है। प्रत्येक…