01.2 अष्टमूलगुण
अष्टमूलगुण २.१ मूलगुण क्या है?- जैसे जड़ के बिना वृक्ष नहिं, टिक सकता है पृथिवी पर। नहीं नींव के बिना बना, सकता कोई मंजिल सुन्दर।। वैसे ही बिन मूलगुणों के, श्रावक नहिं बन सकता है। यदि धारण कर ले तो नर क्या, नारायण बन सकता है।।१।। जिस प्रकार मूल (नींव) के बिना मकान नहीं टिक…