प्रमुख जैन तीर्थक्षेत्र ४.१ तीर्थ शब्द की व्याख्या (Definition of The Word ‘Teerth’)- तीर्थ शब्द की व्याख्या करते हुए जैनाचार्यों ने लिखा है- ‘‘तीर्यते संसार सागरो येनासौ तीर्थः’’ अर्थात् जिसके द्वारा संसाररूपी महासमुद्र को तिरा जावे.पार किया जावे उसे तीर्थ कहा जाता है। तीर्थ के भेद (Types of Teerth)- उस तीर्थ के प्रथमतः दो भेद…
जैन पर्व ३.१ सोलहकारण पर्व (Solahkaran Parva)- चैत्र, भादों तथा माघ महीनों में पूरे ३० दिन तक यह पर्व मनाया जाता है और सोलहकारण की पूजा तथा व्रत किये जाते हैं। यह अनादिनिधन पर्व है, जिसमें जैनधर्म में बतलाई गई दर्शनविशुद्धि, विनयसम्पन्नता, शीलव्रतेष्वनतिचार, अभीक्ष्णज्ञानोपयोग, संवेग, शक्तितस्त्याग, शक्तितस्तप आदि सोलह प्रकार की तीर्थंकर प्रकृति का बंध…
सप्तभंगी सप्तभंगी का अर्थ अनेकांतवाद अथवा स्याद्वाद का विस्तृत रूप सप्तभंगी में दृष्टिगोचर होता है। अनेकांत सिद्धांत के आधार पर यह स्पष्ट हो चुका है कि प्रत्येक पदार्थ परस्पर विरोधी अनेक धर्म युगलों का पिंड है। वे वस्तु में एक साथ रह तो सकते हैं परन्तु उन्हें युगपत् व्यक्त नहीं किया जा सकता है। इसके…