जैन गीता : समणसुत्तं
जैन गीता : समणसुत्तं जैनधर्म के विभिन्न ग्रंथों से ग्रहण की गई गाथाओं का संकलन समणसुत्तं के नाम से क्षुल्लक जिनेन्द्र वर्णी द्वारा किया गया था। इस ग्रन्थ की रचना को भगवान् महावीर के 2500 वें निर्वाण वर्ष के अवसर पर एक बड़ी उपलब्धि के रूप में स्वीकार किया गया। आचार्य विनोबा भावे की प्रेरणा…