ऋषभदेव के शासन की आर्यिकाओं की वंदना श्री ऋषभदेव के शासन में, आर्यिका मात अगणित मानी। उनके चरणों में नित्य नमूँ, ये संयतिका पूज्य मानी।। इनकी स्तुति पूजा करके, हम त्याग धर्म को भजते हैं। संसार जलधि से तिरने को, आर्यिका मात को नमते हैं।।३।। चौबीस तीर्थंकर के समवसरण की आर्यिकाओं की वंदना पचास लाख...
दिगम्बर जैन परम्परा में चतुर्विध संघ होता है, जिसमें मुनि, आर्यिका, श्रावक, श्राविका होते हैं। मुनि के समान ही आर्यिकाओं के भी अट्ठाईस मूलगुण होते हैं।