श्री ज्ञानमती माताजी का परिचय (मुख्य)
ज्ञानमती माता जी का परिचय एवं उनकी प्रेरणा से बने कई तीर्थों का वर्णन है इसमें |
ज्ञानमती माता जी का परिचय एवं उनकी प्रेरणा से बने कई तीर्थों का वर्णन है इसमें |
कुन्दकुन्द दिगम्बर आम्नाय के एक प्रधान आचार्य | अपरनाम वट्टकेर । इन्होंने अपने जीवनकाल में गिरनार पर्वत की संघसहित यात्रा का बहुत बड़ा रेकार्ड बनाया एवं ८४ पाहुड ग्रन्थों की रचना करके जैनसमाज पर बहुत उपकार किया है । इनमें मूलाचार, समयसार, नियमसार आदि ग्रन्थों का स्वाध्याय समाज में बृहत् स्तर पर किया जाता है…
कर्म कर्म शब्द के अनेक अर्थ है यथा- कर्मकारक, क्रिया तथा जीव के साथ बंधने वाले विशेष जाति के पुद्गल स्कन्ध | कर्मकारक जगत प्रसिद्ध है , क्रियाएं समवदान व अध: कर्म आदी के भेद से अनेक प्रकार है | कार्मण पुद्गल का मिथ्यात्व , असंयम , योग और कषाय के निमित्त से आठ कर्म…