02. समवसरण पूजा
पूजा नं.-1 समवसरण पूजा स्थापना—शंभुछंद तीनों लोकों में सर्वश्रेष्ठप्रभु समवसरण की रचना है। इसमें हैं आठ भूमि सुंदर यह धनकुबेर की रचना है।। अंतर का वैभव है अनंत, तीर्थंकर त्रिभुवन के स्वामी। मैं वंदूं चौबीसों जिनवर, हो जाऊं निजसंपति स्वामी।।१।। —दोहा— आह्वानन कर मैं जजूं, तीर्थंकर परमेश। आवो आवो नाथ अब, तिष्ठो हृदय हमेश।।२।। ॐ…