10. अक्षीणऋद्धि पूजा
पूजा नं.-10 अक्षीणऋद्धि पूजा —अथ स्थापना (शंभु छंद)— जो मुनि उदारमन हो करके, सब जन के बंधू बनते हैं। बहु भेद तपश्चर्या करके, अक्षीण ऋद्धि को लभते हैं।। उनकी चरणांबुज की पूजा से, जन सर्व समृद्धि करते हैं। जो विधिवत् पूजें गुण गावें, उनके मनवांछित फलते हैं।।१।। ॐ ह्रीं द्विविध अक्षीणऋद्धिसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट्…