सुभाषचन्द्र जैन टिकैतनगर द्वारा आडियो भजन
सुभाषचन्द्र जैन टिकैतनगर द्वारा आडियो भजन
णमोकार महामंत्र पूजा (प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माता जी द्वारा )
छहढाला क्लास (प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माता जी द्वारा )
समवसरण रचना 1. समवसरण वंदना 2. समवसरण रचना (भूमिका) 3. समवसरण रचना (तिलोयपण्णति से) 4. समवसरण रचना (षट्खण्डागम धवला पुस्तक ९ से) 5. समवसरण रचना (आदिपुराण भाग-१ से) 6. समवसरण रचना (हरिवंश पुराण से) 7. समवसरण स्तोत्र 8. भगवान ऋषभदेव-समवसरण रचना 9. प्रशस्ति 10. समवसरण का ध्यान 11. योजन एवं कोस बनाने की विधि 12….
योजन एवं कोस बनाने की विधि २००० धनुष का १ कोस है। अत: १ धनुष में ४ हाथ होने से ८००० हाथ का १ कोस हुआ एवं १ कोस में २ मील मानने से ४००० हाथ का १ मील होता है। एक महायोजन में २००० कोस होते हैं। एक कोस में २ मील मानने…
समवसरण का ध्यान ॐ ह्रीं श्री शांतिनाथ तीर्थंकराय नम: -गणिनी ज्ञानमती षोडशं तीर्थकर्तारं, पंचमं चक्रवर्तिनम्। द्वादशं कामदेवं च, शांतिनाथं नमाम्यहम्।। भगवान को केवलज्ञान प्रगट होते ही इन्द्र की आज्ञा से कुबेर अर्धनिमिष में समवसरण की रचना कर देता है। उस समय भगवान तीनों लोकों को और उनकी भूत, भावी, वर्तमान समस्त पर्यायों को युगपत् एक…
प्रशस्ति —शंभुछंद— तीर्थंकर समवसरण त्रिभुवन, में सर्वोत्तम अतिशायी है। यतिवृषभाचार्य आदि वर्णित, गणधर वंदित सुखदायी है।। इसको पढ़ते वंदन करते, प्रभु समवसरण वंदन होगा। सीमंधर प्रभु के समवसरण का, निश्चित ही दर्शन होगा।।१।। श्री मूलसंघ में कुंदकुंद, आम्नाय सरस्वति गच्छ कहा। विख्यात बलात्कारगण से, गुरु आम्नायों में मुख्य रहा। इस परम्परा के आचार्यों का, मैं…
भगवान ऋषभदेव-समवसरण रचना -गणिनी ज्ञानमती -मंगलाचरण- प्रभो: ऋषभदेवस्य, समवादिसृतिर्भुवि। श्रीविहारोऽपि देवस्य, सर्वमंगलकारणम्।। भगवान ऋषभदेव ने पुरिमतालपुर के उद्यान में ध्यान के बल से जब घातिया कर्मों पर विजय प्राप्त कर ली तब उसी क्षण उन्हें केवलज्ञान प्रगट हो गया। तत्क्षण ही तीनों लोकों में आनंद की लहर छा गई। भगवान पृथ्वी से अधर आकाश में…
समवसरण स्तोत्र (गणिनी ज्ञानमती कृत) दोहा- चिन्मय चिंतामणि प्रभो, गुण अनंत की खान। समवसरण वैभव सकल, वह लवमात्र समान।।१।। —शंभुछंद— जय जय तीर्थंकर क्षेमंकर, तुम धर्म चक्र के कर्ता हो। जय जय अनंतदर्शन सुज्ञान, सुखवीर्य चतुष्टय भर्त्ता हो।। जय जय अनंत गुण के धारी, प्रभु तुम उपदेश सभा न्यारी। सुरपति की आज्ञा से धनपति, रचता…