सम्पादकीय
-कर्मयोगी पीठाधीश स्वस्तिश्री रवीन्द्रकीर्ति स्वामीजी जैनधर्म के २४वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के पश्चात् का इतिहास देखने से ज्ञात होता है कि इन ढाई हजार वर्षों में किन्हीं आर्यिका माता के द्वारा साहित्य लेखन का कार्य नहीं हुआ। आज से ५० वर्ष पूर्व पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी ने अपनी लेखनी चलाकर इस परम्परा का…