आचार्य श्री वीरसागर चालीसा और भजन
चालीसा ।। शंभु छन्द ।। श्री देवशास्त्र गुरु वन्दन कर, पूर्वाचार्यों को नमन करूँ। श्री कुन्दकुन्द की परम्परा में, शान्ति सिन्धु को नमन करूँ।। उन प्रथम शिष्य पट्टाधिपती, आचार्य वीरसागर जी थे। प्रभु महावीर के लघुनन्दन, छत्तिस गुण रत्नाकर ही थे।।१।। ।। दोहा ।। गुरु चरणों में नमन कर, करूँ सदा गुणगान। चालीसा का पठन…