अकृत्रिम जिनालय वंदना
“…अकृत्रिम जिनालय वंदना…” -गणिनी ज्ञानमती (चाल-हे दीनबन्धु…….) जैवंत मूर्तिमंत जिनालय महान हैं। जैवंत आदि अंत१ शून्य गुण निधान हैं।। जैवंत तेज में अपूर्व सूर्यकान्त हैं। जैवंत शांतिसिंधु रूप चंद्रकान्त हैं।।१।। जैवंत पंचमेरु के अस्सी जिनालया। जैवंत नागदंत बीस जैन आलया।। जैवंत जंबू आदि वृक्ष दश के जिनगृहा। जैवंत हों वक्षारगिरि के अस्सि जिनगृहा।।२।। जै रूप्यगिरी…