जीवंधर कुमार ने कुत्ते को पंचनमस्कार मंत्र सुनाया (जीवंधर चम्पू ग्रंथ में)
जीवंधर कुमार ने कुत्ते को पंचनमस्कार मंत्र सुनाया (जीवंधर चम्पू ग्रंथ में) अपार करुणाकरो जीवन्धरो बहुप्रयत्नैरपि प्रत्युज्जीवयितुमशक्नुवान: परलोकसमर्थापनपरतन्त्रं पञ्चमंत्र-मुपादिक्षत्। जीवन्धरो बहुप्रयत्नैरपि प्रत्युज्जीवयितुमशक्रुवान :। परलोकसमर्थापनपरतन्त्रं पञ्चमंत्र मुपादिक्षत्।। श्रवसा परमं मन्त्रं मनसा हन्त मा स्पृशन्। कुक्कुरो विजहौ प्राणान्दुःखलेशविवर्जितः।।१२।। चंद्रोदयाह्वयगिरौ विमलोपपाद- शय्यातले रुचिरवैक्रियिकाख्यदेहे। स्रग्वी सदंशुकधरो नवयौवनश्रीः प्रादुर्बभूव स सुदर्शननामयक्षः।।१३।। अर्थ–अपार दया के सागर जीवंधर स्वामी बहुत प्रयत्न करने…