प्रशस्ति
प्रशस्ति —शंभुछंद— तीर्थंकर समवसरण त्रिभुवन, में सर्वोत्तम अतिशायी है। यतिवृषभाचार्य आदि वर्णित, गणधर वंदित सुखदायी है।। इसको पढ़ते वंदन करते, प्रभु समवसरण वंदन होगा। सीमंधर प्रभु के समवसरण का, निश्चित ही दर्शन होगा।।१।। श्री मूलसंघ में कुंदकुंद, आम्नाय सरस्वति गच्छ कहा। विख्यात बलात्कारगण से, गुरु आम्नायों में मुख्य रहा। इस परम्परा के आचार्यों का, मैं…