शिक्षास्पद कहानियाँ , खेल में भी केसा मेल
शिक्षास्पद कहानियाँ खेल में भी केसा मेल वीरकुमार-चलो चलें राजकुमार! कुछ देर पार्क में चलकर खेलकूद में ही मनोरंजन किया जाए। राजकुमार-मुझे तो पढ़ाई करनी है वर्ना स्कूल में पिटाई होगी। वैसे भी मेरे पिताजी रोज मुझे यही शिक्षा देते हेैंं- खेलोगे कूदोगे बनोगे खराब। पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नबाब।। वीरकुमार-यह तो ठीक है मित्र! पढ़ने लिखने…