(चार्वाक के भेदैकांत का खंडन)
(चार्वाक के भेदैकांत का खंडन) चार्वाक-हमारे यहाँ पृथ्वी, जल, अग्नि और वायु ये चार तत्त्व ही प्रमेय हैं और ये परस्पर में अत्यंत भिन्न हैं। जैन-ऐसा नहीं है क्योंकि पाँचवे जीवतत्त्व का सद्भाव देखा जाता है और उन चार तत्त्वों में परस्पर में अत्यंत भेद असंभव है। अत: तत्त्व दो ही व्यवस्थित होते हैं अर्थात्…