यतिभावना का कथन
यतिभावना का कथन आदाय व्रतमात्मतत्त्वममलं ज्ञात्वाथ गत्वा वनं निश्शेषामपि मोहकर्मजनितां हित्वा विकल्पावलिम्। ये तिष्ठन्ति मनोमरुच्चिदचलैकत्वप्रमोदं गता: निष्कम्पा गिरिवज्जयन्ति मुनयस्तेसर्वसङ्गोज्झिता:।।१।। अर्थ — व्रत को ग्रहण कर तथा निर्मल आत्मा के स्वरूप को जानकर और वन में जाकर तथा मोह कर्म से पैदा हुवे समस्त विकल्पों को नष्ट कर, समस्त प्रकार के परिग्रहों से रहित जो मुनिगण…