भजन
भजन -प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चंदनामती अरे, जग जा रे चेतन! नींद से, तुझे सतगुरु आये जगावन को।।टेक.।। काल अनादी से इस जग में-२ भ्रमण करे तू चारों गति में-२। अरे, मोह नींद को दूर भगा, तुझे सतगुरु आये जगावन को।।१।। मानुष तन दुर्लभ है जग में-२, सदुपयोग इसका तू कर ले-२। अरे, विषय कषाय को त्याग…