शिर-लक्षण
शिर-लक्षण….. प्रत्यावर्तत्रयं भक्तया नन्नमत् क्रियते शिर:। यत्पाणिकुङ्भलाज्र् तत् क्रियायां स्याच्चतु: शिर: ।।१५।। अर्थात्-तीन तीन आवर्त के प्रति जो भक्तिपूर्वक शिर झुकाना है वह चार शिर है। मुकुलित हाथ इसका चिन्ह है और ये चार शिर चैत्यभक्त्यादि कायोत्सर्ग के समय किये जाते हैं। भावार्थ-सामायिकदण्डक के आदि में तीन आवर्त कर शिर झुकाना। अन्त में तीन आवर्त…