(सत् आदि का लक्षण)
(सत् आदि का लक्षण) उनमें द्रव्य पर्याय, सामान्य, विशेष और उत्पाद, व्यय, ध्रौव्य में जो व्यापक है वह सत् है, ऐसा कथन करना सत् का प्ररूपण है, जैसे जीव हैं, मिथ्यादृष्टि हैं, सासादन सम्यग्दृष्टि हैं, सम्यग्मिथ्यादृष्टि हैं, असंयतसम्यग्दृष्टि हैं, देशसंयत हैं, प्रमत्तसंयत हैं, अप्रमत्तसंयत हैं, अपूर्वकरणसंयत हैं, अनिवृत्तिकरण बादरसांपराय संयत हैं, सूक्ष्मसांपराय संयत हैं, उपशांतकषाय…