अखंडता!
[[श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार]] [[श्रेणी:शब्दकोष]] ==अखण्डता :== भाजन भेद कहावत नाना, एक मृत्तिका रूप री। तैसे खण्ड कल्पना रोपित, आप अखण्ड सरूप री।। —आनन्दघन ग्रंथावली, पद : ६५ जिस प्रकार मिट्टी एक होकर भी पात्र—भेद से अनेक नामों से पुकारी जाती है, उसी प्रकार एक अखण्ड रूप परमतत्त्व (शुद्धात्मा) में विभिन्न कल्पनाओं के कारण, अनेक नामों की कल्पना…