श्री शीतलनाथ पूजा
श्री शीतलनाथ पूजा स्थापना गीताछंद है नगर भद्दिल भूप द्रढ़रथ, सुष्टुनंदा ता तिया। तजि अचुतदिवि अभिराम शीतलनाथ सुत ताके प्रिया।। इक्ष्वाकु, वंशी अंक…
श्री शीतलनाथ पूजा स्थापना गीताछंद है नगर भद्दिल भूप द्रढ़रथ, सुष्टुनंदा ता तिया। तजि अचुतदिवि अभिराम शीतलनाथ सुत ताके प्रिया।। इक्ष्वाकु, वंशी अंक…
श्री सहस्रकूट चैत्यालय पूजा रचयित्री-आर्यिका चन्दनामती स्थापना जिनवर की एक हजार आठ, प्रतिमाओं से जो शोभ। वह सहस्रकूट जिन चैत्यालय, भव्यों के मन को मोह रहा।। इनकी पूजन से पाप सहस्रों, शान्त स्वयं हो जाते हैं। आह्वानन स्थापन विधि से, पूजा जो भक्त रचाते हैं।।१।। ॐ ह्रीं सहस्रकूटजिनालयस्थित जिनबिम्बसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट्…
श्री बाहुबली पूजा स्थापना शंभु छंद वृषभेश्वर के सुत बाहुबली, प्रभु कामदेव तनु सुन्दर हैं। मुनिगण भी ध्यान करें रुचि से, नित जजते चरण पुरंदर हैं।। निज आतमरस के आस्वादी, जिनका नित वंदन करते हैं। उन प्रभु का हम आह्वानन कर, भक्ती से अर्चन करते हैं।।१।। ॐ ह्रीं श्रीबाहुबलीस्वामिन्! अत्र अवतर…
श्री ऋषिमण्डल पूजा भाषा स्थापना-दोहा चौबिस जिनपद प्रथम नमि, दुतिय सुगणधर पाय। त्रितिय पंच परमेष्ठि को, चौथे शारद माय।। मन वच तन ये चरन युग, करहुँ सदा परनाम। ऋषि मण्डल पूजा रचों, बुधि बल द्यो अभिराम।। अडिल्ल छंद चौबिस जिन वसु वर्ग पंच गुरु जे कहे। रत्नत्रय चव देव चार अवधी…
श्री ज्येष्ठ जिनवर अभिषेक इस ज्येष्ठ जिनवर अभिषेक को ज्येष्ठ के महीने में भगवान ऋषभदेव के मस्तक पर मिट्टी या सोने के कलशे में जल भर के किया जाता है दोहा भोगभूमि के अंत में, हुआ आदि अवतार। आदिब्रह्म आदीश ने, किया जगत उद्धार।। शेर छंद जय जय प्रभो वृषभेश ने अवतार जब…
श्री चन्द्रप्रभ जिन पूजा चारित्रमाला व्रत,चन्दनषष्ठी व्रत अथ स्थापना नरेन्द्र छंद अर्धचन्द्र सम सिद्ध शिला पर, श्रीचन्द्रप्रभ राजें। चन्द्रकिरण सम देह कांति को, देख चन्द्र भी लाजे।। अतः आपके श्री चरणों में, हुआ समर्पित चंदा। आह्वानन कर चन्द्रप्रभू का, मेरा मन आनंदा।।१।। ॐ ह्रीं श्रीचन्द्रप्रभजिनेन्द्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ…
श्री आदिनाथ, भरत, बाहुबली पूजा स्थापना-चौबोल छंद हे इस युग के आदि विधाता, ऋषभदेव पुरुदेव प्रभो। हे युगस्रष्टा तुम्हें बुलाऊँ, आवो आवो यहाँ विभो।। आदिनाथ सुत हे भरतेश्वर! हे बाहूबलि! आज यहाँ। आवो तिष्ठो हृदय विराजो, जग में मंगल करो यहाँ।।१।। ॐ ह्रीं तीर्थंकरऋषभदेव-भरत-बाहुबलि-स्वामिन:। अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं।…
श्री आदिनाथ जिनपूजा नाभिराय मरुदेवि के नंदन, आदिनाथ स्वामी महाराज। सर्वारथसिद्धि तैं आप पधारे, मध्यम लोक मांहि जिनराज।। इंद्रदेव सब मिलकर आये, जन्म महोत्सव करके काज। …
भगवान श्री वासुपूज्य जिनपूजा अथ स्थापना-गीता छंद नेन्द्र वासव-गणों से पूजित सदा। इक्ष्वाकुवंश दिनेश काश्यप-गोत्र पुंगव शर्मदा।। सप्तद्र्धिभूषित गणधरों से, पूज्य त्रिभुवन वंद्य हैं। आह्वान कर पूजूँ यहाँ, मिट जायेगा भव फंद है।। ॐ ह्रीं श्रीवासुपूज्यजिनेन्द्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं श्रीवासुपूज्यजिनेन्द्र! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ: स्थापनं। ॐ…