मेरे घर जिनवर आए हैं तर्ज—चाँद मेरे आ जा रे……….. मेरे घर जिनवर आए हैं-२ तीर्थंकर श्री शांतिनाथ मुनि बनकर आए हैं।।मेरे.।।टेक.।। छह खण्ड धरा को जीता तो चक्रवर्ति कहलाए। वैराग्य हुआ तो सब कुछ तज महामुनी कहलाए।। मेरे घर जिनवर आए हैं। सिद्धं नम: कह दीक्षा ग्रहण कर योगी कहाए…
शांतिनाथ प्रभु को है, मेरा नमन तर्ज—बहुत प्यार करते हैं हम…… शांतिनाथ प्रभु को है, मेरा नमन। चरण में समर्पित-२ हैं भक्ती सुमन।। शांतिनाथ……।। टेक.।। माँ ऐरादेवी के घर, रत्न खूब बरसे। हस्तिनापुरी में पिता, विश्वसेन हरषे।। ज्येष्ठ वदी चौदश को-२, हुआ प्रभु जनम।। शांतिनाथ……।।१।। चक्रवर्ती पाँचवें वे, शांतिनाथ स्वामी हैं।…
शांति-कुंथु-अरनाथ की प्रतिमा प्यारी हैं तर्ज—सोनागिरी में सोना…… शांति-कुंथु-अरनाथ की प्रतिमा प्यारी हैं। उनके पंचकल्याण की महिमा न्यारी है।। तीन लोक की रचना सुन्दर बन गई, ज्ञानमती माताजी की भावना रही।। शांति-कुंथु-अरनाथ की प्रतिमा प्यारी हैं। उनके पंचकल्याण की महिमा न्यारी है।।टेक.।। हस्तिनापुर तीर्थ की धरती हुई पावन। जो तीन तीर्थंकर…
शांतिनाथ की जन्मभूमि, हस्तिनापुरी विख्यात तर्ज—पारस प्रभू जी मेरी नैया लगा दो पार…… शांतिनाथ की जन्मभूमि, हस्तिनापुरी विख्यात। जम्बूद्वीप की रचना से, पावन हुई वो धरती आज।। टेक.।। विश्वसेन नृप ऐरा देवी, का था महल जहाँ पर। धनकुबेर ने पन्द्रह पहिने, रत्नवृष्टि की जहाँ पर।। उसी तीर्थ का वंदन करके, करूँ जनम…
विश्वशांति की ज्योति जली, ज्ञानमती माताजी की प्रेरणा मिली। तर्ज—ज्योति से ज्योति जलाते चलो…… विश्वशांति की ज्योति जली, ज्ञानमती माताजी की प्रेरणा मिली। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के, द्वारा अहिंसा की ज्योति जली।। टेक.।। धर्म और विज्ञान ने धरती का, सदैव शृंगार किया। इक दूजे के पूरक बनकर, नामों को साकार किया।। दोनों…
शांतिनाथ की जन्मभूमि से गूंज उठी शहनाई तर्ज—माई रे माई…… शांतिनाथ की जन्मभूमि से गूंज उठी शहनाई। विश्वशांति के हेतु राष्ट्रपति जी ने ज्योति जलाई।। जय हो विश्व धर्म की जय, अहिंसा परम धर्म की जय।। टेक.।। दुनिया के सब देश चाहते, आपस में मैत्री हो। फिर भी क्यों आतंक बढ़ा है,…
यह ज्ञानज्योति सर्वदा जलती ही रहेगी। तर्ज—इस जग में जो आया उसे…… यह ज्ञानज्योति सर्वदा जलती ही रहेगी। अज्ञान अन्धकार को हरती ही रहेगी।।टेक.।। इस ज्योति के भ्रमण ने जम्बूद्वीप बताया। करणानुयोग शास्त्र का सिद्धान्त सुनाया।। यह वीर की…… यह वीर की वाणी सदा चलती ही रहेगी-२ अज्ञान अन्धकार को हरती ही…
शांतिनाथजी की जन्मभूमि को नमूँ तर्ज—धीरे-धीरे बोल कोई सुन ना ले…… शांतिनाथजी की जन्मभूमि को नमूँ, भूमि को नमूँ, जन्मभूमि को नमूँ।। हस्तिनापुरी शुभ धाम है, जहाँ जम्बूद्वीप महान है।।शांति.।।टेक.।। माता ऐरावति को स्वप्न दिखे जहाँ, विश्वसेन पितु दान किमिच्छक दें जहाँ। धनकुबेर ने रत्नवृष्टि की थी जहाँ, उत्सव करने इन्द्र स्वयं आये…
शान्ति-कुंथु-अरहनाथ, तीन लोक के हैं नाथ तर्ज—कभी राम बनके….. शान्ति-कुंथु-अरहनाथ, तीन लोक के हैं नाथ, तीनों जिनवर को तीन बार नमन है।।टेक.।। जैनधर्म के ये तीन तीर्थंकर। हस्तिनापुर में जन्में तीनों जिनवर।। तीन पदवी से सनाथ, तीन लोक के हैं नाथ, तीनों जिनवर को तीन बार नमन है।।१।। तीर्थंकर चक्रवर्ती कामदेव हैं।…