3.1 जैनधर्म की प्राचीनता
जैनधर्म की प्राचीनता प्रवाह की दृष्टि से जैनधर्म अनादि है। समय का चक्र अनादिकाल से अविभाजितगति से चल रहा है। वह सब पर है। चेतना और अचेतन-सब उससे प्रभावित हैं। धर्म भी इसका अपवाद नहीं है। धर्म शाश्वत होता है, पर उसकी व्याख्या समय के साथ रहती है। वर्तमान में जैन धर्म में भगवान ऋषभदेव…