त्याग तपस्या की मूरत तुम, ज्ञान ध्यान की प्रतिमा हो!
त्याग तपस्या की मूरत त्याग तपस्या की मूरत तुम, ज्ञान ध्यान की प्रतिमा हो। कलियुग की सुकुमार तपस्वी, नारी की गुण गरिमा हो।। ब्राह्मी माँ के पदचिन्हों पर चलकर लुटा रहीं चंदन। गणिनी माता ज्ञानमती जी, स्वीकारो मेरा वंदन।।१।। शांतिसागराचार्य गुरू की वाणी तुमने अपनाई। वीरसागराचार्य गुरू से ज्ञानमती दीक्षा पाई।। निन्दा स्तुति…