काव्य सुमन!
काव्य सुमन यूँ तो जन्म सभी लेते हैं कोई न कोई तिथि में। मगर कई निधियाँ बन जातीं अमर अमूल्य निधी से।। ऐसी अमर निधी हैं माँ मोहिनी देवी की मैना। जिनने जग को सिखा दिया हरदम है आगे रहना।। सबने समझाया दुष्कर पथ कैसे पार करोगी। इतनी कठिन तपस्या कोमल तन से तुम कर…