3. सम्यग्दर्शन
(३) सम्यग्दर्शन य: सार: सर्वसारेषु, स सम्यग्दर्शनं मतम्। आ मुक्तेर्नहि मां मुञ्चेत्, वृत्तं च विमलीक्रियात्।।१।। सम्पूर्ण सारों में भी जो ”सार” है वह सम्यग्दर्शन ही है। मोक्ष होने तक वह मुझे न छुड़ाए या मुझे न छूटे और मेरे चरित्र को भी निर्मल करे। दशमदर्शन, सद्दर्शन, सद्दृष्टि, सम्यग्दृष्टि, सद्दक्, सम्यग्द्रिक और सम्यक्त्व ये सब पर्यायवाची…