भगवान चन्द्रप्रभु चालीसा
श्री चन्द्रप्रभु चालीसा दोहा वीतराग-सर्वज्ञ अरु, हित उपदेशी जान।वे ही सच्चे देव हैं, उनको करूँ प्रणाम।।१।। पूर्वापर दोषों रहित, सच्चा आगम शास्त्र।ज्ञान प्राप्ति के हेतु ही, नमूँ नमाकर माथ।।२।। वृषभसेन को आदि ले, श्री गौतमपर्यन्त।सब ही गणधर गुरु नमूँ, होवे भव दु:ख अंत।।३।। चौपाई जय जय चन्द्रप्रभू जिनराजा, चन्द्रपुरी के तुम अधिराजा।।१।। फिर भी त्रिभुवनपति...