53. कृतिकर्म विधि का सार
कृतिकर्म विधि (अध्याय २) कृतिकर्म विधि का सार अंगबाह्य के १४ भेदों में से ‘कृतिकर्म’ नाम का अंगबाह्य अनादि निधन है। अत: कृतिकर्मविधि पूर्वक वंदना आदि करना अनादि व्यवस्था है। इसमें णमोकार मंत्र व चत्तारिमंगल अनादि हैं। सामायिक दण्डक में ‘अड्ढाइज्जदीवदोसमुद्देसु पण्णारसकम्मभूमिसु’ जो पद है उस पर प्रकाश डाला है। प्रथम जंबूद्वीप, द्वितीय धातकीखंडद्वीप, तृतीय…