प्रमुख पर्व त्यौहार जैन धर्म में तीर्थंकरों की पंचकल्याणक तिथियाँ एवं आचार्यों से संबंधित कई पुण्यतिथियाँ आती हैं। जैन धर्म के सभी पर्व-त्यौहार तप-त्याग व संयम की शिक्षा देते हैं। कुछ प्रसिद्ध पर्व- पर्युषण (दस लक्षण) पर्व- यह दस दिवसीय महापर्व वर्ष में तीन बार आता है किंतु भाद्रपद मास में सुदी पंचमी से चतुर्दशी…
प्रमुख आचार्य चौबीस तीर्थंकरों में अंतिम भगवान महावीर के बाद इंद्रभूति गौतम, सुधर्माचार्य व जम्बूस्वामी ये 3 क्रमशः केवलज्ञानी हुए। इनके बाद विष्णु, नंदीमित्र, अपराजित, गोवर्धन व भद्रबाहु ये 5 सर्व शास्त्रों के ज्ञाता श्रुतकेवली हुए। इनके बाद भी निरंतर दिगंबर आचार्य परंपरा चलती रही। यहाँ कुछ प्रमुख आचार्यों का स्मरण करते हैं। आचार्य पुष्पदंत…
सच्ची सफलता प्रत्येक मनुष्य अपने जीवन में सफल होना चाहता है। एक परीक्षार्थी अपनी परीक्षा में उत्तीर्ण होकर स्वयं को सफल मानता है। एक व्यापारी खूब सारा धन कमाकर स्वयं को सफल अनुभव करता है। ऐसे ही एक खिलाड़ी खेल में मेडल जीत कर, कोई व्यक्ति किसी मुकाबले में शत्रु को परास्त कर स्वयं को…
सुरक्षित आश्रय भन का स्वभाव है कि किसी विशेष वस्तु का थोड़े समय तक आनंद लेने के पश्चात वह दूसरी वस्तु की ओर मुड़ना चाहता है। जबकि सत्य यही है कि संसार में जो चीजें आई हैं, उनका अंत सुनिश्चित है। इसलिए किसी वस्तु का आप आनंद हमेशा नहीं उठा पाएंगे। लोग इस बात को…
सुख और आनंद सुख और आनंद एक-दूसरे के पांव के रूप में प्रयोग किए जाते हैं, हैं, परंतु परंतु आध्यात्मिक दृष्टि से अगर विचार करें तो दोनों में बड़ा अंतर है। जी भी सामग्री या पदार्थ इंद्रियों को अच्छा लगता है या हमारी इंद्रियों के अनुकूल होता है उसे सुख कहा जाता है। सुख सदैव…
आलस्य किसी भी व्यक्ति की प्रगति में दूसरे लोग तो कम बाधक होते हैं खुद अपनों प्रगति में व्यक्ति स्व ज्यादा बाधक होता है। इसमें सबसे बड़ा कारण आलस्य होता है, जिसके चलते असफल होने पर लोग अपने भाग्य को कोसते हैं। ज्यादातर असफल लोगों को देखा जाए तो यही बात सामने आती है कि…
तप से तृप्ति आज की तेज रफ्तार जिंदगी मनुष्य को अशांति, असंतुलन, तनाव, थकान तथा चिड़चिड़ाहट की ओर धकेल रही है, जिससे अस्त-व्यस्तता बढ़ रही है। ऐसी विषमता एवं विसंगतिपूर्ण जिंदगी को स्वस्थ तथा ऊर्जावान बनाए रखने के लिए संयम एवं तप एक रामबाण दवा है। यह मस्तिष्क को शांत, शरीर को स्वस्थ एवं जीवन-आकांक्षाओं…
जीवन संघर्ष जीवन का संघर्ष ही व्यक्ति को निखारता है, उसकी जीवनी शक्ति को प्रखर करता है। जिस तरह लोहे को भट्टी में तपाकर उसे शक्तिशाली बनाया जाता है ठीक उसी तरह जीवन में आने वाली चुनौतियां व्यक्ति की सामर्थ्य को सबलता प्रदान करती हैं। जो संघर्ष को आभूषण मानकर उसे अंगीकार करते हैं, वही…
एकत्व की साधना जिस एकता को हम बात करते हैं, क्या उसके पथ पर चला जा सकता है। एकत्व वस्तुतः शब्द नहीं, जीवन पद्धति है। जिस मनुष्य की आंतरिक संरचना कुछ ऐसी हो जाए कि बाह्य कुछ भी प्रभाव कुप्रभाव उसे विचलित न करें, किसी भी प्रकार की कठिनाई या दुविधा उसे न सताए, चारों…