सम्मेदशिखर स्तोत्र
सम्मेदशिखर स्तोत्र -शंभु छन्द- गिरिवर सम्मेदशिखर पावन, श्रीसिद्धक्षेत्र मुनिगण वंदित। सब तीर्थंकर इस ही गिरि से, होते हैं मुक्तिवधू अधिपति।। मुनिगण असंख्य इस पर्वत से, निर्वाण धाम को प्राप्त हुए। आगे भी तीर्थंकर मुनिगण का, शिवथल यह मुनिनाथ कहें।। -दोहा- सिद्धिवधू प्रिय तीर्थकर, मुनिगण तीरथराज। मन वच तन से मैं नमूं, मिले सिद्धिसाम्राज्य।।१।। अथ प्रत्येक…