प्रयत्नशील व्यक्ति जीवन में कोई भी कार्य असंभव नहीं है। कार्य को असंभव और संभव हमारा मन और मस्तिष्क ही बनाते हैं। हमारी दृढ इच्छाशक्ति, मजबूत इरादे अनवरत श्रम और अहर्निश प्रयत्न कितने भी दुष्कर लक्ष्य को भेद ही देते हैं। वहीं, यदि हम मानसिक रूप से स्वयं को कमजोर कर दें, प्रयत्न छोड़ दें…
ॐ जाप व भ्रामरी प्राणायाम अस्थमा पर लगाम किशोर भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। अस्थमा हो जाए तो इससे मुक्ति पाना मुश्किल हो जाता है। एम्स, नई दिल्ली के डा. एसके काबरा विशेषज्ञों के शोध से प्रोफेसर पीडियाट्रिक यह साबित हुआ है एम्स नई दिल्ली कि भ्रामरी प्राणायाम और ऊं के जाप से…
भावना भावनाएं मनुष्य के व्यक्तित्व निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। जिस व्यक्ति के भीतर जिस प्रकार की भावनाएं आकार लेगी, उसका व्यक्तित्व भी उसी अनुरूप विकसित होता जाता है। भावनाएं वास्तव में हमें आंतरिक संदेश देती हैं कि हम जिस स्थिति में हैं था हम जो कर रहे हैं, वाह हमारे विश्वास, हमारी मान्यताओं…
अहंकार का त्याग बुद्धि दी प्रकार की होती है सदबुद्धि और कुयुद्धि। प्रतिभा को जिस प्रकार की बुद्धि का संग संग मिल जाता है, उसकी वैसी ही गति हो जाती है। प्रतिभाशाली व्यक्ति के पीछे अहंकार एक परछाई की तरह पीछे लग जाता है। सद्बुद्धि वाला व्यक्ति तो सही समय पर जाग जाता है और…
अध्यात्म की शक्ति भारतीय परंपरा में वर्ष में दो बार नवरात्र आते हैं-चैत्र एवं शारदीय नवरात्र पर्व शक्ति उपासना एवं स्वयं को शक्ति संपन्न बनाने का विशिष्ट पर्व है। इस दौरान संकल्प एवं संयम की शक्ति द्वारा व्यक्ति अध्यात्म संपन्न बनने की साधना करता है। दुनिया में अनेक शक्तियां हैं, किंतु सर्वोपरि शक्ति है-अध्यात्म की…
अहंकार अहंकार का अर्थ उस भाव से है जिसमें सदा यह मान कर चलते हैं कि हम ही सही हैं और हम कभी गलत नहीं हो सकते। चाहे युद्ध हो या फिर कोई अपराध ये सभी अहंकार से ही शुरू होते हैं। यदि हम यह स्वीकारने की स्थिति में आ जाएं कि हम गलत भी…
ध्यान ध्यान का अर्थ है चस्तिष्क में कोई भी विचार होना, अर्थात शुन्य विचार की अवस्थाको कहा गया है। योग के आठ अंगों में से अंग ध्यान है। ध्यान के उपरांत समाधि की अवस्था आती है, जो कि योग की चरम अवस्था है। हालांकि ध्यान को स्थिति में स्वयं को स्थापित कर पाना नितांत मुश्किल…
कर्म की महत्ता इस संसार में कोई भी प्राणी ऐसा नहीं है जी कर्म करता हो। कर्म ही जीवन का आधार है। व्यक्ति अपने शरीर, मन और काली के उपयोग से जो भी करता है या कहता है, वह कर्म की श्रेणी में आता है। कर्म करने के पीछे कोई न कोई प्रयोजन अवश्य होता…
षण कैसे होगा जो बुजुर्ग हो गए है और अन आमदनी का स्रोत खो चुके है। किसी से भी पूछिए, जवाब यही मिलेगा कि उनका मुख्य लक्ष्य है खुश होना। कई देशों को भी रास आया है यह आइडिया। अमेरिका के संविधान में तो खुशी पाने की कोशिश को नागरिकों का ऐसा अधिकार बताया गया…