प्रथम पट्टाचार्य श्री वीरसागर महाराज एक स्वर्णिम व्यक्तित्व
बीसवीं सदी के प्रथमाचार्य चारित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री शांतिसागर महाराज के प्रथम पट्ट शिष्य चारित्रचूडामणि आचार्य श्री वीरसागर महाराज जिन्होंने इस युग को बीसवीं सदी की प्रथम बाल ब्रम्हचारिणी आर्यिका माता गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी जैसी दिव्य विभूति इस युग को प्रदान कर जिनधर्म पर अनन्य उपकार किया वे महामना गुरुवर स्वयं में अलौकिक थे | सूत्र रूप में बड़ी से बड़ी बातों को समझाने में निपुण वे आचार्यश्री जिनके जीवन को इस पुस्तक में निबद्ध किया है पूज्य आर्यिकारत्न श्री चंदनामती माताजी ने , जिसके अध्ययन ,मनन |चिंतन के द्वारा आप सभी उनके सम्पूर्ण जीवा से परिचित होवें यही मंगल कामना है |